सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला: बैंकों को क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट पर उच्च ब्याज दर लगाने की अनुमति

Important decision of Supreme Court: Banks allowed to charge higher interest rate on credit card default

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों को क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट पर उच्च ब्याज दर लगाने की अनुमति दे दी है। शुक्रवार, 20 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें क्रेडिट कार्ड बिलों के भुगतान में देरी पर ब्याज दर को 30% प्रति वर्ष तक सीमित कर दिया गया था। इस फैसले के साथ ही उपभोक्ताओं को संरक्षण देने वाली एक महत्वपूर्ण सीमा समाप्त हो गई है, और बैंकों को अपनी पेनाल्टी की दर खुद तय करने का अधिकार मिल गया है।

16 साल पुराने मामले का हुआ निपटारा
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने 16 साल पुराने एक मामले को खत्म कर दिया है। न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, सिटी बैंक, अमेरिकन एक्सप्रेस और हांगकांग एवं शंघाई बैंकिंग कॉरपोरेशन (एचएसबीसी) जैसे बैंकों की याचिकाओं पर सुनवाई की। मामले में यह सवाल उठाया गया था कि क्या एनसीडीआरसी को यह अधिकार है कि वह बैंकों द्वारा क्रेडिट कार्ड पर ली जाने वाली ब्याज दरों की अधिकतम सीमा निर्धारित कर सके, खासकर जब ग्राहकों ने तय तारीख तक बिलों का भुगतान नहीं किया हो।

एनसीडीआरसी का 2008 का फैसला रद्द
इससे पहले, 2008 में एनसीडीआरसी ने क्रेडिट कार्ड की ब्याज दरों को 30% प्रति वर्ष पर सीमित कर दिया था। एनसीडीआरसी का तर्क था कि बिल भुगतान में देरी पर अत्यधिक ब्याज वसूली सूदखोरी के समान है और यह उपभोक्ताओं का शोषण करती है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को रद्द करते हुए बैंकों को क्रेडिट कार्ड के बिलों में देरी पर लगाई जाने वाली पेनाल्टी को स्वयं निर्धारित करने का अधिकार दे दिया है। अब बैंकों को 49% तक ब्याज दर लगाने की अनुमति हो सकती है।

ग्राहकों के लिए क्या मायने रखता है यह फैसला
आंकड़ों के मुताबिक, भारत में लगभग 30% क्रेडिट कार्ड धारक पहले से ही डिफॉल्ट हैं, यानी वे समय पर अपने बिल का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से इन डिफॉल्ट ग्राहकों पर वित्तीय दबाव और बढ़ सकता है, क्योंकि अब उन्हें ज्यादा ब्याज दरों का सामना करना पड़ सकता है।

विकसित देशों में क्रेडिट कार्ड ब्याज दरों पर कड़े नियम
भारत में इस फैसले के बावजूद, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए क्रेडिट कार्ड ब्याज दरों पर कड़े नियम लागू किए हैं। इन देशों में आमतौर पर क्रेडिट कार्ड की ब्याज दरें 9.99% से 24% तक होती हैं, जबकि भारत में अब बैंक अधिकतम 49% तक ब्याज दरें ले सकते हैं, जिससे उपभोक्ताओं पर और भी आर्थिक दबाव बढ़ सकता है।

निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बैंकों के लिए एक महत्वपूर्ण राहत है, क्योंकि अब वे अपने क्रेडिट कार्ड पर ब्याज दरें और पेनाल्टी खुद निर्धारित कर सकते हैं। हालांकि, यह निर्णय उपभोक्ताओं के लिए चिंता का विषय बन सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो पहले से ही वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।

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